Women Empowerment In Hindi | Mahila Sashaktikaran In Hindi PDF: समय तेजी से बढ़ रहा है और तेजी से बदल रहा है इस बदलते समय में Women Empowerment (महिला सशक्तिकरण) के बारे में सोचना या महिला सशक्तिकरण विषय के बारे में बात करना अपने आप में एक अत्यधिक गंभीर विषय है | आज मैं आपके लिए Shikshajunction.Com पर Essay On Mahila Sashaktikaran In Hindi Language में शेयर कर रहा हूं | इस Women Empowerment Essay In Hindi PDF मैं आपके साथ Women Empowerment (महिला सशक्तिकरण) से जुड़े हर महत्वपूर्ण विषयों के बारे में बात करूंगा | मेरा निवेदन है की आपको Essay On Women Empowerment In Hindi Language को एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए आशा करता हूं कि आपको यह पसंद आएगा |
Essay On Women Empowerment In Hindi Language | Essay On Mahila Sashaktikaran In Hindi PDF Download
जैसा कि मैंने आपसे कहा कि मैंने इस निबंध में महिला सशक्तिकरण के हर महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया है | Nari Sashaktikaran का यहां निबंध प्रस्तावना (Introduction) से शुरू होता है तथा उपसंहार (Epilogue) पर खत्म होता है | यदि आप से कहीं किसी एग्जाम या प्रतियोगिता मैं Women Empowerment (महिला सशक्तिकरण) पर निबंध पूछा जाता है जो की अक्सर (Competitive Exam) में पूछा जाता है | तो आप इस निबंध का उपयोग वहां कर सकते हैं | आप Nari Sashaktikaran के अपने विचार और Nari Sashaktikaran के मेरे विचारों को मिलाकर Women Empowerment (महिला सशक्तिकरण) पर एक अच्छा निबंध लिख पाएंगे और अगर आप का निबंध अच्छा होता है तो आपको अच्छे अंक दिए जाते हैं जिसके कारण प्रतियोगिता या एग्जाम को Clear करने की संभावना बढ़ जाती है |
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बहुत सारे विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो पढ़ने में तो बहुत अच्छे होते हैं परंतु जब उनसे Women Empowerment / Nari Sashaktikaran (महिला सशक्तिकरण) के बारे में पूछा जाता है या Essay On Nari Sashaktikaran In Hindi पर निबंध लिखने को कहा जाता है | वे वहीं रुक जाते हैं उन्हें इस विषय के बारे में सोचना पड़ता है उन्हें समझ में नहीं आता कि क्या लिखें और क्या बोलें ऐसी विद्यार्थियों के लिए यहां पोस्ट बहुत उपयोगी है इससे आप जरूर पढ़ें और अपनी लेकिन शंकर को मजबूत बनाएं |
इस निबंध की शुरुआत हम प्रस्तावना से करेंगे और इसका अंत उपसंहार पर होगा तो चलिए शुरू करते हैं
प्रस्तावना
आज के इस आधुनिक समय में महिला सशक्तिकरण पर चर्चा करना एक गंभीर विषय है प्राचीन युग में नारी का एक विशेष स्थान रहा है प्राचीन युग में नारी को देवी की तरह पूजा जाता था पौराणिक ग्रंथों में नारी की तुलना देवी देवताओं से की गई है यहां तक कि यहां भी कहा गया है कि जहां नारी का वास होता है वही लक्ष्मी का वास होता है अतः नारी को घर की लक्ष्मी की उपाधि भी दी गई है |
प्राचीन काल से हमारे पूर्वजों और वर्तमान युग में हमारी यही धारणा रही है कि जहां समस्त नारी जाति को सम्मान और प्रतिष्ठा की नजरों से देखा जाता है वही देवी देवता और लक्ष्मी का वास होता है उसी घर में सुख शांति रहती है | परिवार राज्य तथा समाज चाहे वह कोई भी हो वे सभी सच्चे अर्थों में प्रगति की ओर अग्रसर तभी हो सकते हैं जब वे नारी के प्रति अपनी निरादर की भावना, भेदभाव व हीनभाव का त्याग करे | हमारे पूर्वजों ने कहा है कि –
“स्त्री पुरुष की गुलाम नहीं गुलाम नहीं की गुलाम नहीं गुलाम नहीं – सहधर्मिणी अर्धांगिनी और मित्र है”
महात्मा गांधी
नारी का स्थान :-
जिस समाज में नारी को सम्मान पूर्वक नजरों से देखा जाता है तथा जिस समाज में बिना किसी भेदभाव के नारी को एक सम्मानजनक स्थान दिया जाता है वहां समाज सिर्फ उतना ही प्रगतिशील और विकसित होता है | परिवार से समाज बनता है समाज से राष्ट्र बनता है इसलिए जब समाज विकसित और प्रगतिशील होता है तो तब राज्य मजबूत बनता है | इसलिए ऐसा कहा जा सकता है की परिवार समाज और राष्ट्र निर्माण में नारी केंद्रीय भूमिका निभाती है |
भारतीय ग्रंथों में नारी को सदैव सम्मानजनक स्थान दिया गया है कुछ ग्रंथों में तो नारी को देवी की उपाधि भी दी गई है अर्थात यह कहा जाता है कि जहां नारी की पूजा होती है वही देवी का वास होता है | नारी की प्रतिष्ठा में लक्ष्मी होती है उसे सदैव एक सम्मानजनक स्थान दिया जाना चाहिए |
नारी बचपन से ही सदैव अपना धर्म निभाते हुए आई है उसका जीवन सदैव दूसरों के लिए ही समर्पित होता है बचपन में पुत्री का धर्म निभाती है, शादी के बाद एक पतिव्रता पत्नी का धर्म निभाती है, फिर एक माता का धर्म निभाती है इस प्रकार वहां अपना पूरा जीवन दूसरों के प्रति समर्पित कर देती है |
ऐसा अक्सर कहां जाता है और आपने भी यहां कहीं ना कहीं सुना होगा कि माता-पिता बालक के प्रथम गुरु होते हैं इसी प्रकार माता के रूप में नारी बालक की प्रथम गुरु होती है | जॉर्ज हर्बर्ट ने कहा था कि “ 100 शिक्षकों के बराबर एक अच्छी माता होती है ” हमें सदैव नारी का सम्मान करना चाहिए वह परिवार और समाज में नारी को सदैव एक सम्मानजनक स्थान देना चाहिए |
प्राचीन काल मे नारी की स्थिति :-
किंतु समय गुजरता गया हो इस गुजरते समय के साथ नारी की स्थिति में भी बदलाव होते रहे नारी को जो स्थान वैदिक काल में दिया जाता था समय के साथ उसे बढ़ावा देना तो दूर उल्टा उससे उसका स्थान धीरे-धीरे छिनता गया | नारी की स्थिति का यह ह्रास कालांतर से शुरू हुआ तथा मध्यकाल आते-आते नारी कि यहां अपमानजनक स्थिति अपनी चरम सीमा तक पहुंच गई |
नारी की यह स्थिति अंग्रेजों के आने के बाद ही शुरू हुई थी नारी की इस दुर्दशा का कारण अंग्रेजी सरकार ही थी क्योंकि अंग्रेजों का मकसद केवल भारत पर राज करना नहीं था उसकी प्राचीन संपदा तो लूटना तथा भारत के रिति-रिवाजों और मानताओं को नष्ट करना भी था | भारत को उस समय सोने की चिड़िया कहा जाता था | उसी सोने की चिड़िया को लूटने के लिए अंग्रेज भारत आए थे ब्रिटिश सरकार के राज्य में उस सोने की चिड़िया को तो लूटा ही गया साथ ही नारी का वहां विशिष्ट सम्मान जो उसे दिया जाता था उससे वह छीन लिया गया |
जिस प्रकार हमारे रीति-रिवाजों में महिलाओं को सम्मान दिया जाता रहा है उसी प्रकार कुछ पूंजीवादी प्रथा द्वारा महिलाओं से वह सम्मान छिना गया है | इसलिए हमारे समाज की इस दुर्दशा के लिए हम ब्रिटिश सरकार को कसूरवार नहीं ठहरा सकते | अंग्रेजों के इन जुर्मों के प्रति अपवाद के रूप में कुछ छोटी-मोटी पहले व आंदोलन हुए पर इनका कोई विशेष प्रभाव ब्रिटिश सरकार पर नहीं पड़ा |
हमारे प्राचीन काल के वैदिक ग्रंथों में वाक्य मिलता है जिसमें कहा गया है कि प्राचीन काल में भारतीय नारी को पूजनीय वह विशिष्ट सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था | सावित्री, अनुसूया, सीता, गायत्री और सती व अन्य भारतीय नारियों ने दुनिया में अपना एक विशिष्ट स्थान प्राप्त किया है |
मध्यकाल में नारी की स्थिति :-
नारी की दशा में परिवर्तन आने का कारण भारत पर हुए अनेकों आक्रमण भी है भारत पर हुए अनेकों आक्रमण के पश्चात लोगों की सोच में परिवर्तन आने लगा और जैसे जैसे लोगों की सोच बदली वैसे वैसे नारी की दशा में भी परिवर्तन आने लगा | तथा यहां सोच इतनी नीचे गिरती गई की अंग्रेजों का शासन काल आते-आते भारतीय नारियों की स्थिति अत्यधिक खराब हो गई | समाज में जो उनका जो स्थान होना चाहिए वहां उनका स्थान उनका नहीं रहा कई नारियों को तो जबरदस्ती वेश्या विधि की ओर धकेल दिया गया |
भारतीय नारियों की इस खराब स्थिति को और खराब बनाने के लिए समाज की रूढ़िवादी प्रथाओं ने एक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है | अगर किसी नारी के पति की मृत्यु हो जाती तो यह बिना जाने कि उसका क्या मन है उसकी क्या इच्छा है उसे उसे अबला की सजा दी जाने लगी उसे अपनी पूरी जिंदगी विधवा बनकर ही काटनी पड़ती थी |
यह बात यहीं नहीं रुकी उसे दिन प्रतिदिन तिरस्कार और समाज द्वारा उपेक्षा का सामना करना पड़ता था उसे समाज द्वारा दिए गए तनो को भी सहना पड़ता था | जब हमारे देश को ब्रिटिश सरकार यानी अंग्रेजों से आजादी मिली तो ऐसा सोचा गया कि भारतीय नारी को अब शोषण तथा उत्पीड़न व समाज के तानों से मुक्ति मिलेगी और वह हवा में एक नई सांस लेगी | उसे एक नया जीवन जीने का अधिकार होगा और जो इस था उसे छीना गया था या उससे प्राचीन काल में दिया जाता था उसे वहां वापस मिलेगा परंतु वास्तव ऐसा कुछ हुआ नहीं |
आजादी के बाद सरकार ने कानूनी स्तर पर नारी की जो मध्यकाल में स्थिति थी उसे सुधारने के तो बहुत प्रयास किए किंतु जो सामाजिक स्तर पर सुधार आना चाहिए था वह सामाजिक स्तर पर सुधार नहीं आया | जिसका मुख्य कारण था पुरुषों की मानसिकता पर हमारी रूढ़िवादी प्रथाएं और एक सबसे बड़ी सोच जो इस कार्य में बाधा बन रही थी वह थी कि महिलाओं का दर्जा सदैव पुरुषों से नीचे रहता है | वह केवल पुरुषों की सेवा के लिए जन्म लेती हैं इस सोच के कारण ही सरकार की कानूनी स्तर पर जो अधिकार में नारियों की स्थिति सुधारने के लिए प्रयास चलाए जा रहे थे वह सफल नहीं हुए |
यही कारण है कि वैदिक काल में जो नारी को विशेष स्थान दिया जाता था वहां उसे नहीं मिला क्योंकि हमारी मानसिकता ही कुछ ऐसी हो गई है | इसलिए आज नारी सशक्तिकरण की आवश्यकता महसूस होती है और यहां आवश्यक भी है |
ऐसा नहीं है कि अंग्रेजी शासन काल में नारियों ने इन जुर्मो के प्रति आवाज नहीं उठाई कई वीर नारियों ने इन रूढ़िवादी प्रथाओं से ऊपर उठकर इतिहास के पन्नों में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया है | इसके कई उदाहरण हमारे सामने हैं जैसे की रानी लक्ष्मी बाई झांसी की रानी व अन्य वीर महिलाएं इन सभी ने इतिहास के पन्नों में एक अपना स्थान बनाया है | तथा भारतीय नारियों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है |
आजादी के बाद भारत में नारी की स्थिति :-
भारतीय नारियों के प्रति भेदभाव विरोधाभास और की भावना सदैव रही है चाहे वह प्राचीन काल हो मध्यकाल हो या वर्तमान समय यह सत्य है इसे बदला नहीं जा सकता कोई सा भी काल हो नारी को सदैव को दृष्टि से भी देखा गया है | इस वाक्य के लिए और नारी की इस दशा के लिए मैं किसी एक इंसान, समाज, राज्य या देश को दोष नहीं देता यह तो इंसान की दृष्टि कैसी है उस पर निर्भर करता है | इस वाक्य के लिए किसी एक समुदाय समाज को दोष नहीं दिया जा सकता क्योंकि हर इंसान की दृष्टि (देखने का नजरिया) अलग-अलग होता है |
उसी प्रकार उनके सोचने का नजरिया भी अलग-अलग होता है | अब कौन इंसान किस तरीके से सोचता है यहां उस पर निर्भर करता है इसके लिए किसी राज्य समाज देश को दोष नहीं दिया जा सकता है | यहां उस इंसान की सोच पर ही निर्भर करता है कि नारी के प्रति उस इंसान की सोच कैसी है तथा वहां उसे किस नजर से देखता है और उसे वह कितना सम्मान देता है |
हमारे वैदिक धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता” इस वाक्य का अर्थ है कि नारी को सदैव पूजनीय माना गया है जहां नारी का वास होता है वही देवी देवताओं का वास होता है | देश में जहां एक तरफ काली, दुर्गा, सरस्वती, पार्वती व लक्ष्मी के रूप में नारी की पूजा की जाती है वहीं दूसरी और उसे अबला रूढ़िवादी प्रथाओं की बेड़ियों में बांधा जाता है | हमारे समाज द्वारा परंपराओं के नाम पर किए गए दुष्कर्म का यहां एक कड़वा सत्य है जिसे ठुकराया नहीं जा सकता |
आजादी के बाद सरकार द्वारा नारी सशक्तिकरण के लिए महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाला “विधेयक महिला आरक्षण” लागू किया | परंतु आज भी विभिन्न आर्थिक राजनैतिक व सामाजिक क्षेत्रों में नारी को समान रूप से नहीं देखा जाता है जिसके कारण यहां आरक्षण सही से लागू नहीं हो पाया |“विधेयक महिला आरक्षण” के तहत लोकसभा विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण छूट का प्रावधान है यह बात सत्य है कि जब तक राजनीति में नारी अपनी भागीदारी नहीं करेगी जब तक नारी सशक्तिकरण सही रूप से नहीं हो सकता | परन्तु वर्तमान समय में ऐसा देखा गया है कि नारी आगे बढ़कर राजनीति में अपनी भागीदारी कर रही है वह दिन दूर नहीं जब नारी सशक्तिकरण अपनी चरम सीमा पर होगा |
भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता -The need for women empowerment in India
- आधुनिक युग में कई महिलाएं देश की प्रगति और राजनीतिक तथा प्रशासनिक पदों पर हैं फिर भी दूसरी ओर कई ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को घरों में ही मध्यम किया जाता है और उन्हें शिक्षा सामान्य स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं से भी वंचित रखा जाता है |
- शिक्षा के मामले में भी भारत में महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा पीछे ही हैं शिक्षा के मामले में महिलाओं का शिक्षा स्तर 60.6% है वही पुरुषों के शिक्षा का स्तर 81.3% है |
- एक अध्ययन में यह सामने आया है कि महिलाओं को पुरुषों के समान योग्यता होती है पर महिलाओं को पुरुषों से 20% कम वेतन दिया जाता है यहां महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता का मुख्य कारण वेतन में असमानता भी है |
- भारतीय समाज के प्राचीन काल में महिलाओं को सम्मान देने के लिए देवी की तरह पूजा जाता था परंतु इस वर्तमान युग में यहां ढोंग मात्र बनकर रह गया है |
- अध्ययन में ऐसा देखा गया है कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा खुले दिमाग की होती हैं और वह सभी आयामों पर अपने अधिकारों को पाने के लिए सच्ची होती हैं और ऐसा वह आकर भी रही है परंतु इसी के सामने कुछ लोगों की सोच इसके विपरीत भी है |
और भी ऐसे बहुत से कारण हैं जिनके कारण हमें महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है
नारी सशक्तिकरण में होने वाली बाधाएं | Hurdles In Implementation Of Women Empowerment In India)
- पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधाराओं के कारण कई लोग ऐसा मानते हैं कि पति की मृत्यु के पश्चात पत्नी को आजीवन विधवा बनकर ही अपना जीवन व्यापक करना पड़ेगा और उस पर तरह-तरह के जुर्म में भी किए जाते हैं |
- पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधाराओं के कारण कई लोग ऐसा मानते हैं कि महिलाओं को अगर घर से बाहर निकलने की इजाजत मिल जाए तो यहां उनके परिवार के लिए शर्मनाक बात होगी इसलिए कई क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार या शिक्षा के लिए घर से बाहर ही नहीं जाने दिया जाता उन्हें घर में कैद कर कर ही रखा जाता है 1 तरीके से घर को कैद खाना बना दिया जाता है |
- महिलाओं को शिक्षा या रोजगार के लिए बाहर ना जाने देना उन्हें हमेशा घर में ही रखना और उन्हें यहां समझाना कि वहां पुरुष से कंधे से कंधा नहीं मिला सकती यहां सब बातें उनके आत्मबल को अहित करती हैं जिससे वहां अपने आपको पुरषो से कम एक्ने रखती हैं |
- कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कई कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार होता है और बाकी के लोग सिर्फ तमाशा देखते हैं और उसे अनदेखा कर देते हैं जैसे की कुछ हुआ ही नहीं |
- अगर कोई महिला अपने दम पर एक अच्छा मुकाम हासिल भी कर देती है तो उसे बार-बार यहां एहसास दिलाया जाता है कि वह पुरुषों की बराबरी नहीं कर सकती और उसे हमेशा काम में कम ही आता जाता है यहां कुछ लोगों की सोच है सभी कि नहीं |
और भी ऐसे बहुत से कारण हैं जिनके कारण हमें महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है
भारत में नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment in India) :-
ऐसा नहीं है कि भारत में नारी सशक्तिकरण के लिए पहले प्रयास नहीं किए गए वहां कोई भी योग हो चाहे वहां प्राचीन काल हो वर्तमान काल हो या भूतकाल सभी युगों में नारी सशक्तिकरण के लिए पुनः प्रयास किए गए हैं | हमारे देश में नारी सशक्तिकरण और महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सदैव प्रयास किए जा रहे हैं | और यहां प्रयास भविष्य में जब तक किए जाएंगे जब तक नारी को अपना सम्मान नहीं मिल जाता जिसके वह योग्य है |
वर्तमान समय में भारतीय सरकार द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद में महिला अधिकारों अधिकारियों को विविध रूप से संरक्षण प्रदान किया जाता है | इसके अलावा 73 और 74 संविधान में भी उनके लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है |
अन्य पहलों के साथ अनैतिक व्यापार अधिनियम 1959, दहेज निरोधक कानून 1961, प्रसूति पर सुविधा अधिनियम 1961, सती निषेध अधिनियम 1987, यौन उत्पीड़न कानून 2012, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, और आपराधिक कानून संसोधन अधिनियम 2013, समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976, का प्रावधान किया गया है।
इसी के साथ भारतीय सरकार और कुछ एनजीओ द्वारा भी नारी सशक्तिकरण को बल दिया जाता है इसके अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण को सफल करने के लिए कई योजनाएं भी चालू की गई है | जिनमें से कुछ है जननी सुरक्षा योजना, लाडली बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना, अबला, सुकन्या समृद्धि योजना, तेजस्विनी जैसी कई योजनाएं भारतीय सरकार द्वारा चलाई गई है |
जिसका लाभ देश की कई नारियां व बेटियां उठा रही हैं | सरकार द्वारा नारी सशक्तिकरण को सफलतापूर्वक चलाने के लिए वह उसे विशिष्ट बल देने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं | हमें उन सभी कदमों में अपना सहयोग देने की आवश्यकता है यहां वह समय है जब हमें अपनी सोच बदलनी होगी वहां समय चला गया जब हम नारियों को पुरुषों की बराबरी कि नहीं माना जा सकता था आज के समय में नारी पुरुष से कंधा मिलाकर काम करती है |
भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका
- 1) बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
- 2) महिला हेल्पलाइन योजना
- 3) उज्जवला योजना
- 4) सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप)
- 5) महिला शक्ति केंद्र
- 6) पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण
Act For Women Empowerment In Hindi
- अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956
- दहेज रोक अधिनियम 1961
- एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976
- मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987
- लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट 1994
- बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006
- कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013
नारी का उत्थान :-
वर्तमान समय में जन-जन में यहां संदेश पहुंचाना बहुत जरूरी है कि महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है | इस युग में महिलाओं को बेढ़ियों से बांधकर नहीं रखा जाता उसे स्वतंत्र कर राजनीतिक शारीरिक सामाजिक आर्थिक और मानसिक क्षेत्र में उनके स्वतंत्रता प्रदान करने की अवश्यकता है | जब नारी देश की प्रगति में अपना योगदान देगी तभी यह देश पूर्णता रूप से तरक्की कर सकता है और तभी देश का सही विकास होगा |
नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा :-
नारी के बिना इस समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती जैसे कि पुरुष पत्नी के बिना अधूरा होता है पुत्र माता के बिना, माता बेटी के बिना, इसी प्रकार यहां चक्र चलता रहता है इसलिए नारी को सशक्त बनाए बगैर समाज को यह मानवता को सशक्त नहीं बना सकते |
नारी अपना पूरा जीवन दूसरों के प्रति निछावर कर देती है जैसे वहां शादी के पहले बेटी का धर्म निभाती है अपने मां के प्रति उसी प्रकार शादी के बाद वहां अपने पति के प्रति पतिव्रता पत्नी और बेटे के प्रति एक अच्छी मां का फर्ज निभाती है अब हां अच्छी बहू बनती है तथा अन्य प्रकार के सभी दोस्तों और जिम्मेदारियों को पूरी स्वच्छता व जिम्मेदारी से निभाती है |
वात्सल्य, सहनशीलता, संवेदना, करुणा, विनम्रता, ममता, प्रेम आदि नारी के वह गुण है जितने भी मानवता को निकाल सकती है और यहां गुण केवल एक नारी के प्रति मिल सकते हैं | इसलिए महिलाओं को वह सम्मान दिया जाना चाहिए जिसके लिए वह हकदार है इसके लिए महिला सशक्तिकरण को हमें बढ़ावा देना होगा हर जिमेदार नागरिक को प्रयास करना होगा कि जितना हो सके वह महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का प्रयास करें |
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना होगा हमें सरकार की योजनाओं में भागीदारी देनी होगी साथ ही हमें समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है | ताकि वह महिलाओं के प्रति अपनी सोच को बदले अब वह समय नहीं है जब महिलाएं घर में बैठी रहती थी और यहां कहा जाता था कि महिलाएं केवल चूल्हा चौकी के लिए बनी है | और उन्हें शादी के बाद अपने पति का घर संसार संभालना है | वहां युग अलग था और यहां युग अलग है | इस युग में नारी पुरुष से कंधा मिलाकर देश की प्रगति में अपना योगदान देती है | इसलिए हमें अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है तथा महिला सशक्तिकरण में अपना योगदान देने के लिए आवश्यकता है
महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के सम्मान के लिए सरकार द्वारा चलाई गई सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी हमें प्रत्येक नारी तक पहुंचाने होगी | हर नारी को जागरूक होने की आवश्यकता है ताकि वह इस सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते | तथा उसे उन्हे अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है | तभी नारी सशक्तिकरण पूरे देश में अच्छे से हो पाएगा और अपनी चरम सीमा तक हो पहुंच पाएगा आज हर महिला को जागरूक होने की आवश्यकता है |
उपसंहार :-
महिलाओं को जो सम्मान मिलना चाहिए उन्हें वह सम्मान नहीं मिल पाता और उन पर जो अत्याचार होते हैं उसके लिए मैं किसी एक समुदाय को कसूरवार नहीं ठहरा रहा हूं ना ही किसी एक व्यक्ति की बात कर रहा हूं ना ही किसी एक समाज के राज्य की मैं बात कर रहा हूं | मैं बात कर रहा हूं उस प्रति व्यक्ति की जिसकी सोच नारी के प्रति घृणा जनित है | हर व्यक्ति का देखने और सोचने का तरीका अलग-अलग होता है उसी प्रकार हर व्यक्ति का नजरिया भी अलग अलग होता है | उस व्यक्ति की सोच किसी महिला के प्रति कैसी है यहां उसके नजरिए पर निर्भर करता है | इसलिए महिलाओं को जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मेरा या उनके अपमान के लिए हम किसी समाज को कसूरवार नहीं ठहरा सकते ना ही किसी देश से राज्य समुदाय को |
परंतु ऐसा नहीं है कि इसमें समाज का कोई कसूर ही नहीं है समाज में महिलाओं को जो स्थान मिलना चाहिए वह समाज में अपना स्थान प्राप्त नहीं कर पाई क्योंकि उन्हें समाज द्वारा चलाई गई रूढ़िवादी पथाओ का सामना करना परता है जैसे – दहेज ना देने के कारण कई बहू बेटियों को अपनी जान देनी पड़ी है उन पर तरह – तरह के जुर्म किए जाते हैं | और बलात्कार जैसी घटनाएं तो ऐसे होती हैं कि उनका होना एक आम सी बात है |
इसके अतिरिक्त कुछ समाज और कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि लड़कियों को पढ़ने का अधिकार नहीं है | वहां सिर्फ शादी के बाद अपने पति का घर संभालने के लिए ही बनी है उन्हें एक बोझ माना जाता है इसके भी शर्मनाक घटना यह है कि कुछ बेटियों को तो दुनिया में आने से पहले ही माल दिया जाता है |
वहीं दूसरी ओर कई महिलाएं इन रूढ़िवादी प्रभाव और जंजीरों को तोड़ कर दुनिया भर में अपना नाम रोशन कर रही हैं वह हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर देश और समाज के विकास में अपनी भूमिका को भलीभांति निभा रही हैं | सभ्यता और संस्कृति परंपरा और शिक्षा के प्रसार तथा सामाजिक जागरूकता के कारण ही यह संभव हो रहा है और हमें इसे और संभव बनाने की कोशिश भी करनी चाहिए का ताकि देश की हर कोने कोने की महिला अपने अधिकार को पहचान सके और जागरूक हो सके |
अगर हम इसी प्रकार हर संभव प्रयास करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता ही नहीं होगी और महिलाओं को वह सम्मान मिलेगा जिसके लिए वह योग्य है |
आशा करता हूं कि मेरा यह लेख Essay on Women Empowerment In Hindi आपको अवश्य पसंद आया होगा अगर आपके कोई सुझाव है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं और अगर आपके कोई क्वेश्चन नहीं तो आप उन्हें भी कमेंट सेक्शन के माध्यम से हम से पूछ सकते हैं साथ ही आप हमें सोशल मीडिया पर फॉलो भी कर सकते हैं हमारे साथ जुड़ने के लिए हमारे Instagram और Facebook Page पर जाएं |